पुलिस दबिश

 

सर्राफा व्यापारियों के विरोध के डर से कैराना कोतवाली से खाली हाथ लौटी हरियाणा पुलिस की टीम!

 

छापेमारी के लिए ठोस सबूत नहीं, कोतवाली प्रभारी ने किया अनुमति से इनकार!

पुलिस पर उत्पीड़न के आरोप के बाद सर्राफा व्यापारियों ने बंद की थी दुकानें, अब टकराव का डर!

कैराना। हरियाणा पुलिस की अपराध शाखा की एक टीम गुरुवार को कैराना के सर्राफा बाजार में छापेमारी के इरादे से पहुंची, लेकिन व्यापारियों के विरोध और ठोस सबूतों के अभाव में बिना कोई कार्रवाई किए वापस लौट गई। यह घटना पिछले चार दिनों से चल रहे पुलिस और व्यापारियों के बीच तनाव का नया अध्याय है।

गौर तलब है कि 20 अप्रैल को हरियाणा के पानीपत जनपद के किला थाने की पुलिस ने कैराना के एक सर्राफा व्यापारी को चोरी के सामान की खरीद के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके अगले दिन, व्यापारियों ने कोतवाली पहुंचकर पुलिस पर “बिना वजह उत्पीड़न” का आरोप लगाया और विरोध में दुकानें बंद कर दीं। इसी आक्रोश के चलते गुरुवार को पानीपत से आई टीम को कैराना कोतवाली से खाली हाथ लौटना पड़ा।

एसआई राजपाल सिंह के नेतृत्व में पहुंची टीम ने कोतवाली प्रभारी निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह से छापेमारी की अनुमति मांगी, लेकिन उन्होंने ठोस सबूतों के अभाव में इनकार कर दिया। निरीक्षक ने टीम को सर्राफा व्यापारियों के बीच बढ़ते आक्रोश से भी अवगत कराया और कार्रवाई से बचने की सलाह दी। इसके बाद, टीम कोतवाली से ही वापस लौट गई।

सर्राफा व्यापारियों का आरोप है कि हरियाणा पुलिस बिना पर्याप्त कारण के उन्हें परेशान करती है। पिछले हफ्ते की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने कोतवाली में धरना देकर पुलिस के “दुर्व्यवहार” के खिलाफ आवाज उठाई थी। इस मामले में कोतवाली प्रभारी ने स्पष्ट किया कि छापेमारी के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी है, और बिना सबूत के कार्रवाई अव्यवस्था को जन्म दे सकती है।

निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि टीम के पास छापेमारी से जुड़े कोई दस्तावेज या ठोस आधार नहीं थे, इसलिए उन्हें वापस भेजना जरूरी था। उन्होंने यह भी कहा कि सर्राफा बाजार में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस संवेदनशीलता से काम कर रही है।

इस घटना ने पुलिस और स्थानीय व्यापारियों के बीच संवाद की कमी को उजागर किया है। पुलिस प्रशासन का कहना है कि भविष्य में किसी भी कार्रवाई से पहले स्थानीय अधिकारियों से समन्वय बढ़ाया जाएगा। वहीं, व्यापारी संघ ने पुलिस से “अनावश्यक दखलअंदाजी” बंद करने की मांग की है।

यह घटना पुलिस और स्थानीय समुदाय के बीच विश्वास की कमी को दर्शाती है। जबकि पुलिस अपराध रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाना चाहती है, व्यापारी न्यायसंगत प्रक्रिया की मांग कर रहे हैं। इस टकराव के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच संवाद और पारदर्शिता जरूरी है।

 

 

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